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आवारा पशु और किसान

आवारा पशु और किसान

किसान का नाम आते ही दिमाग में एक तस्वीर बनती है जैसे खेती करने वाला,फसल उगाने वाला और पशु पालने वाला एक दम हष्ट पुष्ट इंसान. यही इंसान बहुत सारी चुनौतियों से जूझता हुआ खेती करता है और अपने आप में बहुत धार्मिक और दूसरों की सहायता को तत्पर रहता है. इन्ही चुनौतियों में एक सबसे विकराल चुनौती है आवारा पशुओं की.जिनसे उसे अपने खेतों की रखवाली भी करनी है और अपने आप को भी बचा के रखना है कई बार ये आवारा पशु बहुत ही आक्रामक होते है और ये किसान पर हमला भी कर देते है. जब कोई नौकरी करने वाला आदमी रात को भोजन करने के बाद अपनी परिवार के साथ देश और दुनियां की राजनीती पर चर्चा कर रहा होता है तब ये किसान अपने खेत के चारो तरफ घूम घूम कर रखवाली कर रहा होता है,और सबसे बड़ी बात की उस किसान की ड्यूटी का कोई समय नहीं होता कई बार जब सर्दियों में पारा 2 से 3 डिग्री तक होता है तब ये सुबह के 3 - 3 बजे तक खेत की रखवाली कर रहा होता है. इसके लिए निचे दिया गया वीडियो देखें.

आवारा पशुओं के लिए जिम्मेदार कौन?

ये आवारा पशुओं की जो समस्या है ये उन्हीं किसानों के द्वारा छोड़े गए पशुओं से है. इसे जंगल में छोड़ने को सरकार या कोई अधिकारी नहीं आता है ये मेरे और तुम्हारे जैसे किसानों के द्वारा ही छोड़े जाते हैं. लेकिन कई बार हम अपने द्वारा किये गए गैर जिम्मेदारी वाले काम से नुकसान उठाते हैं. सबसे खास बात अगर किसान अपनी गाय या सांड को न छोड़े तो ये समस्या खुदबखुद समाप्त हो जाएगी.
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सरकार द्वारा जो गौशाला चलाई जाती है उनकी देखरेख भी उन्हीं किसानों में से कोई करता है लेकिन उन पर भी आरोप लगते है की वो भी गायों को रात में छोड़ देते है. सरकार क्या कर सकती है ? वो गायों के लिए चारा और दाना की व्यवस्था कर देती है और करने वालों को तनख्वाह भी देती है लेकिन करना उन्हीं को पड़ेगा और वो भी कहीं न कहीं किसानों के बीच से ही आते है लेकिन फिर भी ये समस्या दूर नहीं होती है. [embed]https://www.youtube.com/watch?v=g-T6vu8cuwQ[/embed]

फसल में नुकसान

आवारा पशुओं के द्वारा हर फसल में नुकसान होता है चाहे वो पशु खाएं या खेत में बैठ जाये , निकल जाये इससे हर हाल में किसान का नुकसान होता है. आजकल धन की रोपाई चल रही है और आवारा पशु धान की पौध को खा जाती हैं, तो किसान को दुबारा से पौध के बड़े होने का इन्तजार करना पड़ता है. सामान्यतः धान की पौध को आवारा पशु नहीं खाते है लेकिन जब भूख लगी और और कुछ खाने को न हो तो वो कुछ भी खा जाती है. कहते है न की किसान का तो भगवान ही मालिक है.
खुशखबरी: इस दवा के उपयोग से आवारा पशु फसल से दूर भाग जाएंगे 

खुशखबरी: इस दवा के उपयोग से आवारा पशु फसल से दूर भाग जाएंगे 

देखा जा रहा है कि प्रति वर्ष कृषकों के द्वारा उत्पादित की गयी फसलों को छुट्टा पशु लाखों रुपये में हानि पहुँचाते हैं। वर्तमान में राज्य सरकार हरबोलिव नामक ऐसी ही औषधियों को बढ़ावा देगी। इसकी वजह से असहाय पशु किसानों के खेत में हानि नहीं कर पाएँगे। छुट्टा आवारा पशु प्रत्येक राज्य के किसानों हेतु बड़ी परेशानी रही हैं। किसानों की लाखों रुपये की खड़ी फसल को यह आवारा पशु नष्ट कर देते हैं। जो फसल इनसे बचती है, उसको प्राकृतिक आपदाएं तहस-नहस कर दिया जाता है। असहाय एवं आवारा पशु कृषकों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं। इस समस्या के समाधान हेतु प्रत्येक राज्य में प्रयास किए जा रहे हैं। तारबंदी के अतिरिक्त भी किसान पशुओं से फसल बर्बाद होने से संरक्षण के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। परंतु, असहाय एवं छुट्टा पशु काबू में नहीं आते हैं। वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा कृषकों की फसलों के संरक्षण हेतु बड़ी पहल की गई है।  

उत्तर प्रदेश सरकार हरबोलिव दवा को प्रोत्साहित करेगी 

उत्तर प्रदेश राज्य में कृषि विभाग फिलहाल छुट्टा पशुओं को फसल से दूर करने की दिशा में कार्य कर रही है। वर्तमान में राज्य सरकार ऐसी औषधी को बढ़ावा देगी। इसकी केवल गंध से ही छुट्टा आवारा पशु खेतों के अंदर नहीं घुस पाएंगे। इस गंध की वजह से जो पशु किसानों को फसलीय हानि पहुँचाते हैं। वह उस हानि से बच सकते हैं। इससे किसानों को वार्षिक लाखों रुपये का लाभ होगा।
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हरबोलिव दवा के उपयोग से फसल का पशुओं से संरक्षण 

राज्य सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि हरबोलिव नामक औषधि फसल की गंध को पशुओं तक पहुँचने से रोकने में सहायता करती है।  मतलब कि आवारा पशु जिस गंध को महसूस करके फसल को बर्बाद करने जाते है। वह गंध उन तक नहीं पहुँचती है। वह गंध औषधि की वजह से उन तक पहुँच ही नहीं सकती है। इस औषधि का एक और फायदा यह होगा, कि यह छुट्टा एवं आवारा पशुओं हेतु फसल के स्वाद को काफी खराब कर देती है। अगर किसी वजह से पशु फसल को खाने का प्रयास भी किया जाए तब भी वह फसल को नहीं खा सकते हैं। इससे पशुओं को मजबूरन खेत छोड़ना पड़ता है।  

इस दवा से फसल को कोई हानि नहीं होती है 

इस औषधि की एक विशेष बात यह है, कि यह दवा किसी प्रकार की कोई भी हानि फसल को नहीं होती होती है। यह औषधि फसल की जैविक प्रकृति बरकरार रखती है। खेत की मृदा के जैविक गुणों में वृद्धि कर उसको और ज्यादा उर्वरक बनाने का कार्य करती है। फल, फूल, सब्जी, दलहन, तिलहन जैसी विभिन्न फसलों हेतु भी यह दवा बेहतर होती है।